ये मेरी कहानी है। एक लड़की की कहानी। दिल्ली की एक लड़की कहानी। उस लड़की की कहानी जिसकी जिंदगी जीने की अपनी टर्म्स एंड कंडीशंस हैं। जो चाहती है कि घूरती निगाहें उसे सिर्फ दो बूब्स भर न समझें। उसकी पहचान दो टांगों के बीच मौजूद किसी बायलोजिकल व्यवस्था के लिए नहीं हो। और जो चाहती है कि हर जगह सेक्स को तलाशते घटिया लोगों का जवाब उन्हीं के तरीके से दिया जाए...एकदम सॉलिड कमीनेपन के साथ...और हां, अगर में कुछ ज्यादा ही ओपननेस के साथ बात कर रही हूं तो डोंट थिंग रोंग... मैं कोई ऐसी-वैसी उस टाइप की लड़की नहीं हूं...आपसे कुछ शेयर करना चाहती हूं तो इसलिए कि यस-यस...नो...नो...के डायलेमा में फंसी हजारों लड़कियों में डिसीजन लेने की डेयरिंग आ सके.... वे उन कंडीशंस से निपटने की हिम्मत पैदा कर सकें जो लड़कियां होने के कारण कदम-कदम पर फेस करती हैं।
सो, नॉउ बिगिन विद द वेरी बिगनिंग
सो, नॉउ बिगिन विद द वेरी बिगनिंग
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.